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Showing posts from January, 2020

Voice Change (The Case for the Defance)

Active to Passive 1. They are building a house on the hill. Ans. A house is being built on the hill. 2. They are widening the road in front of my house. Ans. The road, in front of house, is being widened by them. 3. Is anyone serving you? Ans. Are you served someone? (Hint - Someone is serving you. "Someone'' is used as exception in the answer) 4. I have insured my car with the National Insurance Company. Ans. My car has been insured with the National Insurance Company (by me). 5. The children have noticed that all the chocolates have been removed from the kitchen. Ans. That all the chocolates have been removed from the kitchen has been noticed by the children. Passive to Active 1. Ut was a case where the old woman was found battered to death. Ans - It was a case where they found the old woman battered to death. 2. Mr Wheeler was wakened by a noise. Ans. A noise wakened Mr Wheeler. 3. Adams was seen by another witness in Laurel Avenue. Ans. Another witnes

ৰাসায়নিক বিক্ৰয়া আৰু সমীকৰণ (মেট্ৰীক পৰীক্ষাৰ্থীসকললৈ শুভেচ্ছাৰে - বিকল্পধৰ্মী প্ৰশ্নপত্ৰ-1.1, দশম শ্ৰেণী)

1. বায়ুৰ অক্সিজেন আৰু মেগনেছিয়ামৰ মাজত হোৱা বিক্ৰিয়াৰ ফলত _________ উৎপন্ন হয়৷ Mg2O MgO2 MgO Mg2O3 2. এটা পৰীক্ষানলীত লেড নাইট্ৰেটৰ দ্ৰৱ লৈ ইয়াত পটেছিয়াম আয়’ডাইডৰ দ্ৰৱ যোগ কৰা৷ TP.18 উৎপন্ন হোৱা অধঃক্ষেপৰ ৰং কি হব? বগা ৰঙা হালধীয়া নীলা 3. এটা পৰীক্ষানলীত লেড নাইট্ৰেটৰ দ্ৰৱ লৈ ইয়াত পটেছিয়াম আয়’ডাইডৰ দ্ৰৱ যোগ কৰা৷ TP.18 বিক্ৰিয়াটোৰ বাবে সন্তুলিত ৰাসায়নিক সমীকৰণ লিখা৷ Pb(NO3)2(aq)+KI(aq) ---> KNO3(s)+PbI2(aq) Pb(NO3)2(aq)+2KI(aq) ---> 2KNO3(s)+PbI(aq) Pb(NO3)2(aq)+2KI(aq) ---> 2KNO3(s)+PbI2(aq) Pb(NO3)2(aq)+2KI(aq) ---> KNO3(s)+PbI2(aq) 4. এটা কনিকেল ফ্লাক্স বা পৰীক্ষানলত কেইটুকুৰামান যিংক লৈ তাত লঘু হাইড্ৰ’ক্ল’ৰিক এছিড যোগ কৰিলে উত্পন্ন হ’ব - ZnCl আৰু H Zn2Cl আৰু H2 ZnCl2 আৰু H2 ওপৰৰ এটাও নহয়। 5. এটা কনিকেল ফ্লাক্স বা পৰীক্ষানলত কেইটুকুৰামান যিংক লৈ তাত লঘু ছালফিউৰিক এছিড যোগ কৰিলে উত্পন্ন হ’ব - ZnSO4 আৰু H ZnSO4 আৰু H2 Zn2SO4 আৰু H2 Zn(SO4)2+H2 6. কি ঘটে, যেতিয়া লঘু হাইড্ৰ’ক্ল’ৰিক এছিড লোৰ গুৰিত যোগ কৰা হ

নিয়ন্ত্ৰণ আৰু সমন্বয় (মেট্ৰীক পৰীক্ষাৰ্থীসকললৈ শুভেচ্ছাৰে - বিকল্পধৰ্মী প্ৰশ্নপত্ৰ-7.1, দশম শ্ৰেণী)

1. স্নায়ু প্ৰবৰ্ধৰ প্ৰকাৰ দুটা হ’ল - Test Paper.2016 এক্সন আৰু ছাইনেপছ দেহকোষ আৰু নিউৰণ ডেনড্ৰাইট আৰু এক্সন ডেনড্ৰাইট আৰু ছাইনেপছ 2. দুটা স্নায়ুকোষ বা নিউৰণৰ মাজৰ খালী ঠাইক বা শূন্য স্থানক কি বুলি কোৱা হয়? TP.16,17,18 ডেনড্ৰাইট ছাইনেপ্‌ছ এক্সন প্ৰেৰণা 3. প্ৰতীপ ধনুসমূহ গঠন হয় - TP.17 স্নায়ুত মেৰুদণ্ডত মস্তিষ্কত স্নায়ুৰজ্জুত 4. মস্তিস্ক (brain) আৰু স্নায়ুৰজ্জু (spinal cord) লগ লাগি গঠন কৰা তন্ত্ৰটো হ’ল - TP.16 কেন্দ্ৰীয় স্নায়ুতন্ত্ৰ প্ৰান্তীয় স্নায়ুতন্ত্ৰ স্বয়ংক্ৰিয় স্নায়ুতন্ত্ৰ ৰেচন তন্ত্ৰ 5. আমাৰ মস্তিষ্কৰ মুখ্য চিন্তা ভাৱনা কৰা অংগটো - প্ৰমস্তিষ্ক মধ্যমস্তিষ্ক পশ্চাৎ মস্তিষ্ক ওপৰৰ এটও নহয় 6. শৰীৰৰ বিভিন্ন সংগ্ৰাহী ইন্দ্ৰিয়ৰ পৰা অহা স্নায়ুপ্ৰেৰণা গ্ৰহণ কৰা মস্তিষ্কৰ অংশটো হ’ল - TP.17 ক্ৰেনিয়েল স্নায়ু প্ৰমস্তিষ্ক মধ্যমস্তিষ্ক পশ্চাৎ মস্তিষ্ক 7. আমাৰ মস্তিষ্কত শ্ৰৱণ, ঘ্ৰাণ, দৃষ্টি আদিৰ এলেকা থাকে - প্ৰমস্তিষ্ক মধ্যমস্তিষ্ক পশ্চাৎ মস্তিষ্ক ওপৰৰ এটও নহয় 8. ভোক আৰু পিয়াহ লগাৰ অনুভূতিৰ বাবে প

2, 10, 30, 68, ? প্ৰশ্নবোধকৰ ঠাইত কি সংখ্যা বহিব?

প্ৰশ্নটো হায়াৰ চেকেণ্ডেৰী টৈটত আহিছিল। উত্তৰ - 130 সমাধানৰ ইংগিত : 3.1+1=2, 2.3+2=10, 3.3+3=30, 4.3+4=68, 5.3+5=130

गीताश्लोकम् (15.7)

ममैवांशो जीवलोके जीवभूतः सनातनः। मनः षष्ठानीन्द्रियाणि प्रकृतिस्थानि कर्षति।।15.7।।

गीताश्लोक: (3.42)

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इन्द्रियाणि पराण्याहुरिन्द्रियेभ्य: परं मन:। मनसस्तु परा बुद्धिर्यो बुद्धे: परतस्तु स:।।3.42।। पराण्याहु: = पराणि  +  आहु: आहुरिन्द्रियेभ्यः  =  आहु: +  इन्द्रियेभ्यः पराण्याहुरिन्द्रियेभ्य:  =  पराणि  +  आहु:  +  इन्द्रियेभ्यः मनसस्तु  =  मनस:  +  तु बुद्धिर्य:  =  बुद्धिः  +  यः परतस्तु  =  परत: + तु শব্দাৰ্থ:  ইন্দ্ৰিয়াণি (ইন্দ্ৰিয়বিলাক), পৰাণি (শ্ৰেষ্ঠ), আহুঃ (কোৱা হয়), ইন্দ্ৰিয়েভ্যঃ (ইন্দ্ৰিয়বিলাকতকৈ), পৰং (শ্ৰেষ্ঠ), মনঃ (মন), মনসঃ (মনতকৈ), তু (কিন্তু, নিশ্চিতকৈ), পৰা (শ্ৰেষ্ঠ, আগবঢ়া), বুদ্ধিঃ (বুদ্ধি), য়ঃ (যি), পৰতঃ (শ্ৰেষ্ঠ), তু (কিন্তু, নিশ্চিতকৈ) সঃ (তেওঁ, আত্মা)। বিস্তাৰিত অৰ্থ: ইন্দ্ৰিয়াণি পৰাণ্য়াহু: (ইন্দ্ৰিয়বিলাকক শ্ৰেষ্ঠ বুলি কোৱা হয়) ইন্দ্ৰিয়েভ্য়: পৰং মন: (ইন্দ্ৰিয়বিলাকতকৈও মন শ্ৰেষ্ঠ) মনসস্তু পৰা বুদ্ধি: (মনতকৈও শ্ৰেষ্ঠ বুদ্ধি) য়: বুদ্ধে: পৰত: (যি বুদ্ধিতকৈ শ্ৰেষ্ঠ) তু স: (কিন্তু সি/নিশ্চিতকৈ আত্মা) অসমীয়া অৰ্থ - কৰ্মেন্দ্ৰীয়বোৰ জড় পদাৰ্থতকৈ শ্ৰেষ্ঠ, মন ইন্দ্ৰীয়তকৈ শ্ৰেষ্ঠ, বুদ্ধি মনতকৈ শ্ৰেষ্ঠ আৰু সি (আত্মা) বুদ্ধিতকৈও শ্ৰেষ্ঠ।

वार्तिकलक्षणम्

उक्तानुक्त दुरुक्तानां चिन्तायत्र प्रवर्तते। त्वं ग्रन्थं वार्तिकं प्राहु वार्तिकज्ञा‌ मनीषिण:।।

भाष्यलक्षणम्

सूत्रार्थो वर्ण्यते यत्र, पदैः सुत्रानुसारिभिः। स्वपदानि च वर्ण्यन्ते, भाष्यं भाष्यविदो विदुः ॥

सूत्रभेद:

सुत्राणि कतिविधानि पणिनीविरचितसूत्राणि षड्विधानि सन्ति।यथोच्यते----- संज्ञा च परिभाषा च विधिर्नियं एव च। अतिदेशोऽधिकारश्च षड्विधं सूत्रलक्षणम्॥

सूत्रस्य लक्षणम्

सूत्रलक्षणं यथा, -- “स्वल्पाक्षरमसन्दिग्धं सारवद्विश्वतोमुखम् ।  अस्तोभमनवद्यञ्च सूत्रं सूत्रविदो विदुः ॥” 

कालिकापुराणस्य विषये उउल्लेखं कुत्र प्राप्यते?

उत्तरम्- कालिकापुराणस्य विषये ब्रह्मनैवर्त-पद्म-कुर्म-गरूड-स्कन्द पुराणानां मध्ये उउल्लेखं प्राप्यते।

पुराणस्य लक्षणम्

सर्गश्चप्रतिसर्गश्च वंशो मन्वन्तराणि च। वंश्यानुचरितं चेति पुराणं पञ्च लक्षणम्। सर्ग: - अस्मिन् सृष्टिवर्णनं प्राप्यते। प्रतिसर्ग: - अस्मिन् प्रलय: तथा पुन: सृष्टिवर्णनं प्राप्यते। वंश: - अत्र देवतानां वंशावली प्राप्यते। मन्वन्तर: - यत्र मनु तथा तस्य समय संघटित केचन  वृत्तान्तम् उपलभ्यते। वंशानुचरितम्- यत्र सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी नृपतिनां वर्णनं प्राप्यते।

वेदः (सामान्य ज्ञानम्-1)

1. वेदः = विद् + अच् (विद् - to know) 2. वेदस्य अर्थः ज्ञानम्, परमज्ञानम्। 3. वेदस्य भागद्वयं वर्तते - मन्त्र ब्राह्मणं च।     मन्त्र - देवानां स्तुतिः।     ब्राह्मणः - वेदस्थित याग-यज्ञादिनां वर्णना। 4. ब्राह्मणस्य भागत्रयं वर्तते - ब्राह्मणम्, आरण्यकम्, उपनिषदः। 5. उपनिषदस्य अपरं नाम वेदान्तः। 6. वेदस्य यस्मिन् ब्रह्मतत्व जीवतत्व मोक्षप्राप्तीत्यादीनां वर्णना उपलभ्यते तदस्ति आरण्यकम्। गुरुः अरण्यस्य निर्जने स्थाने शिष्यान् एतादृशसज्ञानप्रदानं करतीति एतस्य आरण्यकमिति नामः। 7. आरण्यके येषां वर्णना उपलभ्यते तेषां विषदविशालश्च विवरणम् उपनिषदे अस्ति। 8.  ऋच्यते स्तूयते यया सा ऋक्, तादृशीनामृचां समूह एव ऋग्वेदः। 9. ऋ्गवेदस्य ब्राह्मणग्रन्थः - ऐतरेय ब्राह्मणम्, कौषीतकि ब्राह्मणम् च।     ऋ्गवेदस्य आरण्यकग्रन्थः - ऐतरेय आरण्यकम्, कौषीतकि आरण्यकम् च।     ऋ्गवेदस्य  उपनिषदग्रन्थः - ऐतरेय उपनिषदः, कौषीतकि उपनिषदः च। 10. यजुर्वेदस्य भागं द्वयम् - कृष्णयजुर्वेदः, शुक्लयजुर्वेदश्च। 11. कृष्णयजुर्वेदस्य  ब्राह्मणग्रन्थः  - तैत्तिरीय ब्राह्मणम्।       कृष्णयजुर्वेदस्य  आरण्यकग्रन

कुमारसम्भवस्य पञ्चमसर्गस्य सारांशः (need editing)

कुमारसम्भवम् महाकवेः कालिदासस्य प्रख्यातम् महाकाव्यम् अस्ति। अस्मिन् 17 सर्गाः सन्ति, यद्यपि 8 सर्गाः एव कालिदासेन विरचिताः।   पञ्चमसर्गे उमा शिवस्य प्राप्त्यार्थं तपस्या निमित्तं मातुः आज्ञां प्राप्नोति। सा फलोदयपर्यन्तं साधनां कर्तुमिच्छति। माता-पितरौ तां वारयति स्म। तथापि सा अन्तिमपर्यन्तं निश्चयचित्तेन तपस्यां निमग्ना भवति। तदर्थं बहु कष्टमपि सह्यति। तस्याः तपस्यायां सन्तुष्टं भुत्वा वटुवेशेन शिवः तस्या समीपमागच्छति शवस्यैव अवगुणान् उक्त्वा तस्याः मनं तस्मात् दूरी कर्तुं प्रयत्नं करोति। परन्तु उमा तस्याः अभीष्टस्य देवस्य उद्वेगजनकं निन्दां श्रुत्वाSपि विचलितः न भवति परन्तु उग्रतया तीक्ष्णतया च वटोः सर्वारोपाणां समुचितं प्रत्युत्तरं ददाति। पश्चात् प्रसन्नं भुत्वा शिवः उमा समीपे साक्षात् प्रकटं भवति उमां आशीर्वादं ददाति च।   सर्गेSस्मिन् विषयानुक्रमणिका एतादृश्यस्ति यथा -  स्मरविनाशेन हरप्राप्तिविषयकाशाया हतत्वात् पार्वतीविषादवर्णनम्। तपश्चर्यात्यागाय पार्वतीं प्रति मेनकाकर्तृकोपदेशः । हिमवदन्तिके सखीमुखेन पार्वतीमनोरथाभिधानम् । तपस्तप्तुं सख्या सह पार्वत्याः गौरीशिखरप्रयाणम् । पा

HTML ত   কি?

HTML ত &nbsp ৰ অৰ্থ হল  non-breaking space (অবিচ্ছিন্ন ব্যৱধান).  Alternatively referred to as a  fixed space  or  hard space. ইয়াক   programming ত আৰু word processing কাৰ্যত ব্যৱধান (space) সৃষ্টিৰ বাবে ব্যৱহাৰ কৰা হয়। যত নেকি শাৰী একোটা  word wrap   ৰ দ্বাৰা ভাঙিব পৰা নাযায়। .  HTML   ত ,     এ আপোনাক একাধিক ব্যৱধান সৃষ্টি কৰাত সহায় কেৰ, যিটো  source code  তেই নহয় বৰঞ্চ  web page  ত দেখা পোৱা যায়। ........... > লিখিলে > এই চিনডাল দেখুৱায়।

किरातार्जुनीयम् (प्रश्नोत्तराणि)

1. महाकवि भारवि का वास्तविक नाम था  ? - दामोदर।                                                                                                 2. महाकवि भारवि का स्थिति काल माना जाता है? - 600ई. के लगभग। 3.भारवि के माता पिता का नाम ? - भारवि की माता का नाम सुशीला पिता का नाम श्रीधर था। 4.भारवि की पत्नी का नाम था ? - रसिकवती या रसिका  5. भारवि भारत के किस भाग में रहने वाले थे? - दक्षिण भारत में  6.महाभारत में धर्मराज किसे कहा गया है?     - युधिष्ठिर को 7.धूतक्रीडा में पराजित पांडव कहाँ निवास करते हैं ? - द्वैतवन में 8.ब्रह्मचारी का वेष धारण कर के कौन हस्तिनापुर गया था? - वनेचर 9.दुर्योधन के वृतांत को ज्ञात करने के लिए गुप्तचर वनेचर को युधिष्ठिर ने कहाँ भेजा ?     - हस्तिनापुर 10"कुरुणाम् अधिपस्य"यह शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है ? - दुर्योधन के लिए                                                                    11.हितकारी और मन को अच्छे लगने वाले वचन कैसे होते हैं? - दुर्लभ 12.सब संपत्तियां निश्चित रूप से सदा प्रेम कब करती हैं? - राजाओं और अमात्यो के अनुकूल होने

हितं मनोहरि च वचः दूर्लभः (भाव सम्प्रसारणम्)

जगति अस्मिन् दृश्यते यत् मङ्गलकरम् अथच मनोहरं श्रुतिमधुरं वाक्यं न हि सुलभम्। हितकरं वाक्यं प्रायश्च एव अप्रियमं भवति तथा प्रियवाक्यम् आपात् मनोहारि सपदि परिणामे अमङ्गलं जनयति। अस्यां पृथिव्यां ये खलु मङ्गलाकाङ्क्षिणः ते अप्रियमपि सर्वदा सत्यम् उक्त्वा श्रुतुः हितम् इच्छन्ति। पक्षान्तरे सुयोगसन्धानिनः सर्वदा प्रशंसायुक्तम् आपातप्रियं वाक्यम् उक्त्वा श्रुतुः मनसि सामयिक आनन्दं जनयन्ति। पथ्यमप्रियम् अपथ्यमप्रियम् इत्येव विपरीतं फलं अस्मिन् संसारे। उच्यते च - 'अप्रियस्यापि पथ्यस्य वक्ता श्रोता च दुर्लभः इति'।

वनेचर-योधिष्ठिरयोः कथोपकथनम्

उत्तरम् - महाकवि भारविविरचिते 'किरातार्जुनीयम्' महाकाव्ये प्रथमसर्गे युधिष्ठिरेण नियुक्त वनेचरः दुर्योधनस्य प्रशासनपद्धति विषयकं वचनं युधिष्ठिराय निवेदयामास। तद्वचनं समाचीन एवं वर्णितमस्ति - वनेचरः युधिष्ठिरम् अवदत् - यत् राज्ञाः नाना कार्येषु नियुक्त गुप्तचरः राजानां कदापि न वञ्चयेत् अतः वनेचरोSपि युधिष्ठिरं वञ्चयितुं न इच्छति। तदीयं वचनं प्रियं अप्रियं वा भवन्तु, तद् युधिष्ठिरेण ज्ञातव्यम् एव यतोहि हितं मनोरमं च वाक्यं जगति एकमेव दूर्लभमेव। अपि च राजा भृत्ययोः सहयोगेन एव राज्ये सर्वविधा उन्नतिः सम्भवति।     वनेचरः स्वकीयं विनयं प्रकाशयन् उवाच यत् राज्ञव्य़वहारः स्वभावेन एव दुर्बोधं भवति। वनेचरः च अज्ञानञ्च एव युधिष्ठिरस्य महिम्ना असौ दुर्योधनस्य निगुढ़ं नीति मार्गं कथमपि अवगन्तुं समर्थ्यते। युधिष्ठिरं सवोध्य वनेचरः अवदत् हे राजन् दुर्योधनस्य राजसिङ्हासेन उपविष्टोSपि भवतः पराजय आशङ्क्य, अन्यायभावेन जीतं राज्यम् अधुना नीतिद्वारा नेतुं प्रयत्नं करोति। प्रकृत्या प्रवञ्चकोSपि सः दुर्योधनः मनद्वारेण अनुमोदिनां राज्ञः पदवीं प्राप्त कामदिशन्तुं सम्पूर्णभावेन नयति। किञ्च असौ दिवसः

कुमारसम्भवम् लघुप्रश्नोत्तराणि

1. कुमारसम्भवस्य रचयिता कः? कालिदासः भारवी भर्तृहरिः भासः 2. कुमारसम्भवं महाकाव्ये कति सर्गाः सन्ति? षोडश सप्तदश अष्टादश नवदश 3. कुमारसम्भवं महाकाव्यस्य अङ्गीरसः किम्? करुणरसः वीररसः शान्तरसः शृङ्गाररसः 4. कुमारसम्भव महाकाव्यस्य नायकः कः? वनेचरः कालिदासः अर्जुनः कार्तिकः 5. कुमारसम्भवे कुमारशब्दने कं बोधयते? कार्तिकः वनेचरः रामः लक्ष्मणः 6. नागाधिराज्ञः हिमालयस्य पुत्री का? सीता पार्वती मेना राधा 7. पार्वत्याः पितुः नाम किम्? गन्धर्वः विन्ध्यः हिमालयः दिलीपः 8. पार्वत्याः मातुः नाम किम्? उर्वशी जानकी यशोघरा मेना 9. कुमारसम्भवमहाकाव्ये कस्य कथा उपलभ्यते? कार्तिकेयः जन्म वर्णनम् तथा च शिव-पार्वतौ कथा कार्तिकेयः जन्म वर्णनम् तथा च राम-लक्ष्मणौ कथा कार्तिकेयः जन्म वर्णनम् तथा च शिव-नारदौ कथा गणेसस्य जन्म वर्णनम् तथा च शिव-नारदौ कथा 10. कुमारसम्भवे सम्भव शब्दस्य अर्थः किम् अस्ति? सम्भावना उत्पत्तिः बैभवः पृथिवी Show me the answers! Question 1: The correct

Q&A on Letter Writing

Answer the folowing questions 1. A personal letter has generally - three parts four parts five parts six parts 2. You are going to write to a private sector organisation. It is a - Personal letter Business letter Official letter Private Letter ............... 4. Business letters produce immediate effect because they are - a. formal    b. informal   c. brief   d. interesting Ans. b. informal 5. Letters that please the receiver are called - a. good-news letter  b. invitation letter   c. "yes" letter   d. routine letter Ans. a. good-news letters 6. The purpose of a "no" response letter is to leave the reader with - a.  minimum disappointment  b. unpleasant feelings  c. no future hope d. reasons for the rejection of the request Ans. a.  minimum disappointment 7. Form letters a re also known as - a. formal letters   b. persuasive sales letters c. ters  d. bad news letters Ans. 8. A memorandum (memo) is considered a brief form o

26 जानुवारी इत्यस्मिन् दिनाङ्के देशभक्तान्-हुतात्मानां पवित्र-स्मृतौ श्रद्धाञ्जलीं याचयितुं आह्वान् पि.पि.एफ्.ए. इत्यस्य।

26 जानुवारी इत्यस्मिन् दिनाङ्के देशभक्तान्-हुतात्मानां पवित्र-स्मृतौ श्रद्धाञ्जलीं याचयितुं आह्वान् पि.पि.एफ्.ए. इत्यस्य। गुवाहाटीः – जानुवारी मासस्य आगामी 26 दिनाङ्के त्रिरङ्गा जातीयध्वजोत्तलनेन गणराज्य दिवसस्य पालनेन देशस्य शत-सहस्र स्वतन्त्रसंग्रामी स्वदेशप्रेमिकानां हुतात्मानानां पवित्र स्मृतौ श्रद्धाञ्जलिं याचयितुं पेट्रियटिक पिपल्स फ्रन्ट, असम (पि.पि.एफ.ए.) इत्यनेन नागरिकान् आह्वानः क्रियते।       एकेन वार्ताविवृतियोगेन पि.पि.एफ्.ए. इति वदति यत् यद्यपि 1950 वर्षतः 26 जानुवारी इति दिवसं आनुष्ठानिकरूपेण अस्माकं गणराज्य गणतन्त्र दिवसं वा रूपेण स्वीकृता अस्ति, परन्तु 15 आगष्ट, 1947 वर्षस्य स्वतन्त्रता दिवसात् प्राग् बहु वर्षेभ्यः पराधीनभारतवर्षे 26 जानुवारी इत्येव दिनाङ्कं स्वतन्त्र-सङ्ग्रामीणां कृते प्रतीकिरूपेण स्वतन्त्रदिवसत्वेन स्वीकृतम् आसीत्।       पराधीनभारतवर्षे अस्मिनेव दिनाङ्के देशप्रेमिणः सङ्ग्रामस्य नव-नव कार्यसूचीं शपथग्रहणम् आदि कुर्वन्ति स्म, तथा च पुर्णस्वतन्त्रतार्जनाय सङ्ग्रामे आत्मानं नयोजितवन्तः। अतः, आस्माकं स्वतन्त्रता लब्धार्थं ये खलु पूर्वपुर

दिषां विघाताय विधातुमिच्छतो रहस्यनुज्ञामधिगम्य भूभृतः। स सौष्ठवौदार्यविशेषशालिनीं विनिश्चितार्थामिति वाचमाददे॥3॥ (भारवीकृत तिरातार्जुनीयम्, श्लोक-3))

दिषां विघाताय विधातुमिच्छतो रहस्यनुज्ञामधिगम्य भूभृतः। स सौष्ठवौदार्यविशेषशालिनीं विनिश्चितार्थामिति वाचमाददे॥3॥ অসমীয়া অৰ্থ - শত্ৰুৰ বিনাশৰ বাবে উদ্যোগ লোৱাৰ অভিলাষা কৰা যুধিষ্ঠিৰৰ পৰা (অপ্ৰিয় সত্য কোৱাৰ) অনুমতি লাভ কৰি আছুতীয়াকৈ (একান্তত) গুপ্তচৰে শব্দৰ সৌন্দৰ্য (সৌষ্ঠৱ) তথা অৰ্থৰ গিৰমাৰূপী গুণযুক্ত হোৱা বাবে বিশেষভাৱে সুশোভিত তথা প্ৰামাণিক অৰ্থযুক্ত (শব্দসুষমাময়ী, অৰ্থগৰিমাযুক্ত, প্ৰামাণিকী) এনে ধৰণৰ কথা (আগলৈ, পৰৱৰ্তী সময়ত) কবলৈ ধৰিলে।
कृताप्रणापस्य महीं महीभुजे जितां सपलेन निवेदयिष्यतः। विव्यर्थे तस्य मनो न हि प्रियं प्रवक्तुपिच्छन्ति मृथा हितैषिणः ॥2॥ प्रसङ्ग - अत्र श्लोकेऽस्मिन् गुप्तचरस्य दूतस्य सद्गुणा निरूपिता:। राज्ञः  स्वनीतिविषये साफल्यं तस्मिन्नेव समाश्रितमधिकरूपेण। अन्वय:-कृतप्रणामस्य सपत्नेन जितां महीं महीभुजे निवेदयिष्यत: तस्य  (वनेचरस्य) मनः न विव्यये। हि हितैषणः (कदापि) मृषा प्रियं (वच:) प्रवक्तुं  न इच्छन्ति।।२॥ संस्कृत व्याख्या - कृतप्रणामस्य-कृत: विहितः प्रणाम: नमस्कारः येन  तस्य, तत्समयोचितविहितनमस्कारस्य कृताभिवादनस्य। सपत्नेन-शत्रुणा रिपुणा  दुर्योधनेन, जिता-स्वायत्तोकृतां स्वाधीनीकृतां पुरा द्यूतक्रीडया कपटेन छलेन  अघुना नयेन। महीं-पृथिवीं महीभुजे-भूपतये राज्ञे युधिष्ठिराय, निवेदयिष्यत:-  विज्ञापयिष्यत: कथयिष्यत:। तस्य-वनेचरस्य किरातस्य मन:-चित्तं, न-नहि:। विव्यर्थे-व्यथितं पीडितम् अप्रियसत्यभाषणेन भयान्वितं चचाल; हि-यतः  यस्मात्कारणात् हितैषिणः-स्वामिहितार्थिनः शुमेच्छवः जनाः, (कदापि)।  मृषा-मिथ्याभूतम् असत्यम् अलीक; प्रियं -मधुरं श्रुतिसुखदं मनोहरं; (वच:-वचनं)। प्रवक्तु-निवेदयितुं कथयितुम

श्रियः कुरूणामधिपस्य पालनीं प्रजासु वृत्तिं यमयुङ्क्त वेदितुम् (किरातार्जुनीयम्, श्लोक-1)

श्रियः कुरूणामधिपस्य पालनीं प्रजासु वृत्तिं यमयुङ्क्त वेदितुम् स वर्णिलिङ्गी विदितः समाययौ युधिष्ठिरं द्वैतवने वनेचर: ॥१॥ हिन्दी व्याख्या - राज्यभ्रष्ट युधिष्ठिर ने पुनः राज्यप्राप्ति की अभिलाष में प्रजाजनों के प्रति सिंहासनाधिरूढ़ं दु्योंधन के व्यवहार को जानने के लिए ब्रह्मचारी के वेश को धारण करने वाले एक किरात को गुप्तचर के रूप में भेा था। क्योंकि प्रजापालन की नीति के ऊपर ही राज्यलक्ष्मी की प्रतिष्ठा है। यदि राजा को अपनी प्रजा का अनुराग प्राप्त नहीं होता है तो वह कभी भी उनके ऊपर दीर्घकाल तक शासन नहीं कर सकता। इसीलिए दुर्योधन की नीति को जानने के लिये युधिष्ठिर अत्यधिक उत्सुक हैं। दुर्योधन के समस्त समाचार को जानकर वह गुप्तचर युधिष्ठिर के पास वापल लौट कर आया। অসমীয়া অৰ্থ ঃ ক विशेष - प्रस्तुत श्लोक में गुप्तचर के अतिशय महत्व का प्रतिपादन किया गया है। अलंकार - चतुर्थ चरण 'वने वनेचरः' में स्वरव्यञ्जनसमूह 'वने' की सकृत, एक बार स्वरूपत: तथा क्रमत: आवृत्ति होने से छेकानुप्रास है। वर्णसाम्यमनुप्रासः। छेकवृत्तिगतो द्विघा। सोऽनेकस्य सकृत्पर्वः' "छेको व्यञ्ज

किरातार्जूनीयम्

1. किरातार्जूनीयस्य लेखकः कः? उत्तरम् -  भारवि 2. किरातार्जूनीयं महाकाव्ये कति सर्गाः सन्ति? उत्तरम् - 18 सर्गाः सन्ति। 3. किरातार्जूनीयं महाकाव्ये कस्य कथा उपलभ्यते उत्तरम् - किरातार्जूनीयं महाकाव्ये पाशुपात अस्त्रस्य वर्णणं प्राप्रयते। 4. किरातार्जूनीयं महाकाव्यस्य नायकः कः? उत्तर - अर्जुनः। 5. भारवे माता-पित्रोः नाम किम् उत्तरम् - भारवेः पितुः नाम श्रीधरः, मातुः नाम सुशीला च। 6. किरातार्जूनीयं महाकाव्यस्य प्रधानः रसः किम्? उत्तरम् - वीरः रसः। 7. किरातार्जूनीयं महाकाव्ये गुप्तचरः कः? उत्तरम् - वनेचरः 8. शब्दः कति विधाः? ते के? उत्तरम् - त्रिविधाः।  ते यथा - अभिधाः, लक्ष्मणाः, व्यञ्जनाः।

व्याख्या लेखनसन्दर्भे किञ्चिद्

प्रसङ्गः - श्लोकोsयम् श्रीभर्तृहरिः योगिन्द्र विरचित नीतिशतक ग्रन्थे उपलभ्यते। सङ्गतिः -  श्लोकोsयम् ग्रन्थस्य मङ्गलाचरणम्।

ধাতুৰ ক্ষয়ীভৱন বুলিলে কি বুজা? দুটা উদাহৰণ দিয়া৷ (দশম শ্ৰেণীৰ বাবে)

1. ধাতুৰ ক্ষয়ীভৱন বুলিলে কি বুজা? দুটা উদাহৰণ দিয়া৷    বা এটা উদাহৰণেৰে ব্যাখ্যা কৰা - ক্ষয়ীভৱন৷    বা ক্ষয়ীভৱন মানে কি লিখা৷ TP.18 উঃ যেতিয়া ধাতু এটা তাৰ চৌপাশৰ বিভিন্ন পদাৰ্থবোৰ যেনে জলীয় বাষ্প, এছিড আদিৰ দ্বাৰা আক্ৰান্ত হয়, তেতিয়া ইয়াৰ ক্ষয় ঘটে আৰু এই প্ৰক্ৰিয়াটোকে ধাতুৰ ক্ষয়ীভৱন বুলি কোৱা হয়৷ যেনে ছিলভাৰৰ ওপৰত পৰা ক’লা চামনি আৰু কপাৰৰ ওপৰত পৰা সেউজীয়া চামনি আদি৷ 

अज्ञः सुखमाराध्यः सुखतरमाराध्यते विशेषज्ञः (भर्तृहरिः, नीतिशतकम्)

अज्ञः सुखमाराध्यः सुखतरमाराध्यते विशेषज्ञः । ज्ञानलवदुर्विदग्यं ब्रह्माऽपि तं नरं न रञ्जयति ।। 3 ।। अन्वयः (Prose Order) - अज्ञ: सुखमाराध्यः विशेषज्ञः सुखतरम्  आराध्यते, ज्ञानलवदुर्विदग्धं तन्नरं ब्रह्मापि न रञ्जयति ॥३॥ नीतिपथः - श्लोकचतुष्टयेन मूर्खस्य समाधानम् अत्यन्तदुष्करम् इत्याह । अज्ञ  इति । न जानाति इति अज्ञः । मूढ इति यावत् । 'अज्ञे मूढयथाजातमूर्खवैधेयबालिशा:'  इत्यमरः । ' स सुखं सारल्येनाराध्यः समाधातुं शक्यः । तस्योपदेशमात्रेणैव  विस्रम्भसम्भवादिति भाव:। विशेषज्ञो विशेषं गुणावगुणंयोर्भेदं जानातीति विशेषज्ञ:  तत्ववेत्ता स ततोऽपि सुखतरमधिकतरेण सारल्येनाराध्य: प्रसादयितुं शक्यते। विद्याबलेन  कृत्याकृत्यं विविच्य विद्वांसः विद्वासं शीघ्रमेव प्रसादयितुं शक्नुवन्ति । किन्तु ज्ञानं  शास्त्रजन्यसंवित् तस्य लवेन प्राप्तेन लेशमात्रेण दुर्विदग्धं पण्डितंमन्यं तन्नरम्।  मूर्खजनमित्यर्थः । ब्रह्मापि कर्तुमकर्तुमन्यथाकर्तुं समर्थः जगत्स्रष्टापि न रञ्जयति प्रसादयितुं न शक्रोति । रञ्जनसम्बन्धेप्यसंबन्धाभिधा नदतिशयोक्तिभेदः । विदग्ध शब्दो  विद्वद्वाचकः परं दुरुपसर्गो निन्दाव

प्रसह्य मणिमुद्धरेन्मकरवक्त्रदंष्ट्राङकुरात् (भर्तृहरिः, नीतिशतकम्)

प्रसह्य मणिमुद्धरेन्मकरवक्त्रदंष्ट्राङकुरात् समुद्रमपि संतरेत् प्रचलदूर्मिमालाऽऽकुलम् । भुजङ्गमपि कोपितं शिरसि पुष्पवद् धारयेत्। न तु प्रतिनिविष्टमूर्खजनचित्तमारा धयेत् ।।4।। अन्वयः (Prose Order)- मकरवक्त्दष्ट्रांकुरात् प्रसह्य मणिमुद्धरेत् । प्रचलदूर्मिमालाकुलं समुद्रमपि संतरेत्, कोपितमपि भुजङ्गं शिरसि पुष्पवद्धारयेत् । प्रतिनिविष्टमूर्खजनचित्तं तु न आराधयेत् ॥४॥ नीतिपथः- अथ द्वाभ्यां मूर्खजनचित्तस्य दुराराध्यतामाह-प्रसह्येति। मकरवक्त्रदंष्टांकुरात् मकरः जलग्राहविशेषस्तस्य नक्रस्य वर्त्रं वदनगडुगरं मुखं वा तस्मिन् दंष्ट्राणां निशिताग्रदशनविशेषाणामन्तरादति संकटादित्यर्थः । अंकुर,ऽत्राय्रभाग: । लग्नं मणिं रत्नं प्रसह्य हठेन दुरूद्धरमपि उद्धरेदुद्धर्त शक्रुयात् । जन इति शेषः । प्रचलदूर्मिमालाकुलं प्रचलन्त उक्तिष्ठन्तश्च त ऊर्मयो लहर्यस्तन्मालाभि: पंक्तिभिराकुलं संकुलम् । उल्लोलकल्लोलोज्जृम्भितमित्यर् थः । समुद्रमपि महासागरमपि क्षुद्रनदीमिव संतरेत्सम्यक्तरितुं शक्रुयात् । तथा कोपितं सञ्जातकोपमपि भुजङ्गं सर्पमपि । दुर्धरमपीति भावः । शिरसि पुष्पवद् मूर्ध्नि स्रजमिव धार

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<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"> <h2 style="text-align: left;"> लभेत् सिकतासु तैलमपि यत्नतः पीडयन्<br /> पिबेच्च मृगतृष्णिकासु सलिलं पिपासार्दितः।<br /> कदाचिदपि पर्यटञ्चशविषाणमासादयेत्<br />न तु प्रतिनिविष्टमूर्खजनचित्तमाराधयेत्।।5।।</h2> </div> This above language if pasted in HTML and published will show the text without much gap. But if it is written as following, the lines will maintin some gap in between them. <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"> <h2 style="text-align: left;"> लभेत् सिकतासु तैलमपि यत्नतः पीडयन्</h2 > <h2 style="text-align: left;"> पिबेच्च मृगतृष्णिकासु सलिलं पिपासार्दितः।</h2> <h2 style="text-align: left;"> कदाचिदपि पर्यटञ्चशविषाणमासादयेत्<br />न तु प्रतिनिविष्टमूर्खजनचित्तमाराधयेत्।।5।।</h2> </div>

लभेत् सिकतासु तैलमपि यत्नतः पीडयन् (भर्नीतृहरिः, तिशतकम्)

लभेत् सिकतासु तैलमपि यत्नतः पीडयन् पिबेच्च मृगतृष्णिकासु सलिलं पिपासार्दितः। कदाचिदपि पर्यटञ्चशविषाणमासादयेत् न तु प्रतिनिविष्टमूर्खजनचित्तमाराधयेत्।।5।। অসমীয়া অৰ্থ ঃ কোনো লোকে ত্ন সহকাৰে গুড়ি কৰি বালিৰ পৰাও তেল উলিয়াব পাৰে, আৰু পিয়াহত অতি আতুৰ লোকে মৃগমৰিচীকাৰ মাজতো পানী পান কৰিব পাৰিব পাৰে; বিভিন্ন ঠাই ভ্ৰমি ফুৰা লোকে শহা পহুৰ শিং দেখা পাবও পাৰে,  কিন্তু কোনেও অহংকাৰী মূৰ্খলোকৰ চিত্ত প্ৰসন্ন কৰিব নোৱাৰে। English Meaning - Grinding hard, a man may obtain oil from sands, a wanderer, somehow or other, may come by a horn of a rabbit, one may be able to quench his thurst with the waters of a mirage, but nobody can satisfy the heart of a haughty fool.

What is HTML?

HTML, the basic language used to create web pages, stands for Hyper Text Markup Language.  An HTML document is a text file that can be created in any text editor (like Notepad2, Notepad etc.) and has to be saved with the extension .html or .htm. When an HTML document is opened in a web browser, the browser displays the document in the form of a web page. An HTML document (a file with extension .html or .htm) contains a number of tags. A tag is a special word enclosed within angular brackets (< and >) which conveys some message to the browser. This message may be regarding the structure of the web page or formatting the contents of the web page. Accordingly the tags are called structural tags or formatting tags respectively. Examples of structural tags are  <HTML>, <BODY>, <HEAD> and  Examples of formatting tags are <B>, <BR>, <HR>, <IMG>

পুষ্টিকাৰক দ্ৰব্য আৰু ইয়াৰ প্ৰভাৱ, পঞ্চম শ্ৰেণী

1. খালী ঠাই পূৰ কৰা। (ক) জীয়াই থাকিবলৈ আমাক_____ ৰ প্ৰয়োজন। উত্তৰ- আহাৰ। (খ) শৰীৰৰ বিভিন্ন অংগ-প্ৰত্যংগই ভিন ভিন কামসমূহ সুচাৰুৰূপে কৰিবলৈ _____ দ্ৰব্যৰ প্ৰয়োজন। উত্তৰ- পুষ্টিকাৰক। (গ) _____ শৰীৰৰ বৃদ্ধি আৰু বিকাশত সহায় কৰে। উত্তৰ - পুষ্টিকাৰক দ্ৰব্যই। 2. শৰীৰত পুষ্টিকাৰক দ্ৰব্যৰ তিনিটা কাম লিখাঁ। উত্তৰ-শৰীৰত পুষ্টিকাৰক দ্ৰব্যৰ তিনিটা কাম হ'ল -    (ক) শৰীৰত শক্তিৰ যোগান ধৰা।    (খ) দেহৰ বৃদ্ধি আৰু বিকাশত সহায় কৰা। আৰু    (গ) শৰীৰক বিভিন্ন ৰোগৰ পৰা ৰক্ষা কৰা। 3. কাৰ্বহাইড্ৰেট বা শৰ্কৰাজাতীয় পদাৰ্থ থকা কেইবিধমান খাদ্যৰ নাম লিখা। উত্তৰ-কাৰ্বহাইড্ৰেট বা শৰ্কৰাজাতীয় পদাৰ্থ থকা কেইবিধমান খাদ্যৰ নাম হ'ল - ঘেঁহু, গোমধান, চাউল, আলু আদি। 4. কাৰ্বহাইড্ৰেট শৰীৰত কিহৰ যোগান ধৰে? উত্তৰ- শক্তি। 5. আমাৰ শৰীৰত শক্তিৰ যোগান ধৰা কেইবিধমান খাদ্যৰ নাম লিখা। উত্তৰ-আমাৰ শৰীৰত শক্তিৰ যোগান ধৰা কেইবিধমান খাদ্যৰ নাম হ'ল - ঘেঁহু, গোমধান, চাউল‌আৰু আলু। 6. যথেষ্ট পৰিমাণে প্ৰ'টিন বা মাংসসাৰ থকা কেইবিধমান খাদ্যৰ নাম লিখা। উত্তৰ- যথেষ্ট পৰিমাণে প্ৰ'টিন বা মাংসসাৰ থকা কেই